यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति
Yadaa Yadaa Hi Dharmasya Glanirbhavati Hharat.Abhyutthaanmdharmsya Tadaatmaanam Srijaamyaham.
(Sreemad Bhaagwad Geeta - 4/7)
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानम धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम।
Whenever and wherever there is a decline in religious practices and a predominant rise of irreligion , at that time God incarnates to reestablish the religion on earth.
हिंदी अर्थ-
जब जब और जहाँ जहाँ धर्म की हानि होती है और अधर्म की वृद्धि होती है , तब तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात साकार रूप में लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ।